मन
मन
मन है चंचल सबसे द्रूत
कहाँ कहाँ दौड़ जाती:
अपनी मन को संभालने की
सोच तो भी नहीं होती ::
मन में दिल और दिल मैं है
मेरा भोले भाला मन :
ढूंढता है सदा दोस्तों के
प्यारा सा एक मुस्कान::
रोता है मन पाने की सदा
अनमोल सा बड़ा धन :
मिलने की ख्वाहिस रखता हूँ
मिल गया तो हो गई महान ::
अपना मन सोचता है ज्यादा
मिलता है बहुत कम :
मन की बात असफलता में
मिलता है बहुत सा गम:
अपने मन को संभाल ने को
जोर लगाने को सोचो :
मन को ढूंढ बना कर य़ारों
धैर्य के साथ ही बचो।