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चाहत

चाहत

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अपनी चाहत अपनी सोच

        बदलती है जन जन में

चाहत करना पूरी न होने से 

       अफसोस होता है मन में।


रात रात भर सपने न देखो 

      जब अनहोनी है तो करने में

सपने देखते हैं ओ लोग सब 

        जो करके भी दिखाने में।


जो हार हार के जीया है जीवन 

        ओ ज़ितेगा कभी एक बार

हारकर जीते जो उन्हें मालूम 

       चाहत को सच्चाई बनाकर ।


उड़ती है पतंग असमान में 

         हवा की झुकी चाहत में

दिल बहलाती है हवा जब 

     पतंग भी चलती ओ दिल में।


चाहत भी बदल जाती है 

       जैसी पतंग बदलती दिल

अपनी चाहत भी बदल जाती 

     जब हम बन जाते दीवानगी।


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