सरहद
सरहद
चाहे जैसा भी पल आये,
हर पल से वो लड़ जाते हैं,
याद रखे हर कोई उनको,
कुछ ऐसा वो कर जाते हैं।
छोड़ के अपना घर सरहद पे,
खुश रहते हैं मुस्काते हैं।
हम सोते हैं आराम से और वो,
हर मौसम से टकराते हैं।
आसान नहीं होता पर फिर भी,
न मुमकिन, मुमकिन कर जाते हैं।
वो फौजी मर कर भी हम सबके,
मन में घर कर जाते हैं।
जो लड़ते हैं इस देश की खातिर,
और झण्डे को लहराते हैं।
आओ मिलकर हम उन सबके,
चरणों में शीश झुकाते हैं।