लगाव
लगाव
यह तो सर्वज्ञान है कि जीवन की
रीत सबके लिए समान है।
आना है सबको अकेले और जाना भी है अकेले
तो फिर क्यों खड़ा किया ये लगाव का मकान है ?
संसार का सबसे बड़ा सत्य तो यह ही है कि
जीवन से सम्बंधित सब अस्थायी है,
सिर्फ हीरा होगा सदा के लिए,
ज़िन्दगी की उम्र तो ऊपर से तय होकर आई है
फिर क्यों चीज़ों से लगाव रखता है,
क्यों किसी पर न्योछावर हो जाता है ?
क्यों जानते हुए भी अनजान बनता है,
क्यों किसी को खोने के डर से पल पल जलता है ?
कुबूल कर हो सके तो यह परम सत्य
जो आज तेरे पास है उसके लिए ईश्वर की ओर रह कृतज्ञ।
कर इस लगाव का त्याग और जोड़ स्वयं को अंतरमन से
क्योंकि शरीर साथ छोड़ता है,
जुड़ा रहेगा तो सिर्फ अपनी अंतरात्मा से !