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Khushboo Asawa

Abstract Romance Fantasy

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Khushboo Asawa

Abstract Romance Fantasy

खोया खोया चाँद

खोया खोया चाँद

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कुछ पल तो ठहरता तू, ताक लेती तुझे जी भर के।

जल्दी किस बात की है तुझे, देख ले एक बार ज़रा मुड़ के।

क्यों ओढ़े हुए है बादलों की चादर,

तेरे चारों ओर है सितारों की झालर,

बादलों का आँचल छोड़कर बाहर तो निकल,

तेरे दीदार से ही हो जाये मेरा रोम रोम शीतल।

आजा तुझे छुपा लूं अपनी बाँहों में

यूं ही साथ चलें हम तुम इन राहों में।

ओ खोये खोये चाँद इस पृथ्वी की सुन ले आरजू,

आज अमावस्या है तो क्या,

पूर्णिमा को हम फिर होंगे रूबरू!


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