गुरु
गुरु
गुरु वह जो है बड़ा ,
तूफानों में जो रहे खड़ा,
मझधारों में डरे नहीं,
मुस्कानों से रहे जड़ा।
गुरु, वह जो पथ दिखलाये
अंधियारे में दीप जलाये,
भूले भटके निराश पलों में,
उत्साह और विश्वास जगाये।
सो उस गुरु को प्रणाम मेरा है
गुरु जो ज्ञान में,
गुरु जो दान में,
नमन उसको मेरा है।
गुरु जो आचार में,
गुरु जो विचार में।
नमन उसको मेरा है।
गुरु जो व्यवहार में
गुरु जो स्वभाव में
नमन उसको मेरा है
सोच जिसकी है गुरु,
खोज जिसकी है गुरु,
नमन उसको मेरा है।
गुरुतत्व जो मुझ में हैं,
गुरु तत्व जो तुझ में हैं,
नमन उसको मेरा है।