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gauri vandana

Tragedy

4  

gauri vandana

Tragedy

पवन मेरे गांव की

पवन मेरे गांव की

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विष भरी अब हो गई है पवन मेरे गांव की , 

जहर बरसाने लगी है, पेड़ों की अब छांव भी।

पूछती है हर क्यारी,खेतों की मुंडेर भी, 

कहां गए हैं जीव मित्रक ,जुगनू चिड़िया गांव की।

विष भरी अब हो गई है, पवन मेरे गांव की ......


चीखते हैं सारे पोखर, सूखते तालाब भी ,

प्यासा अब कैसे बुझाए प्यास पूरे गांव की ।

विष भरी अब हो गई है पवन मेरे गांव की ।


दूध पानी या दवा हो चाहे हो आनाज भी।

प्लास्टिक की कैद में हर चीज मेरे गांव की। 

विष भरी अब हो गई है...


गंध और दुर्गंध में अब होड़ है पुरजोर पर।

सौंधी खुशबू अब नहीं है इस हवा में गांव की ।

विष भरी अब ...........


उड़ रहे हैं थैलियां और बिछ गए कालीन है।

रंग बिरंगी पन्नियों से बांझ मिट्टी गांव की ।

विष भरी अब हो .......


मूक है अब ये धरा और मौन अब आकाश है। 

बाड़ ही खाने लगी है,

खेत मेरे गांव की।

विष भरी अब हो गई......


दुर्गा शक्ति जागो तुम ही वरना डर अब एक है,

प्लास्टिक का अमर दानव जान लेगा गांव की।

विष भरी अब हो गई है पवन मेरे गांव की ।



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