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gauri vandana

Inspirational

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gauri vandana

Inspirational

छूना आसमान है

छूना आसमान है

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हां ! स्कूल भवन वीरान है।   ‌‌  

मूक प्रार्थना सभा 

मूक राष्ट्रगान है ।


ऐ अदृश्य प्रेत सुन जरा 

गए नहीं हम घबरा ।

बस है यह रणनीति हमारी,

एकांतवास की तू कर तैयारी ।

तुझ को हराकर ,

खुद को बचाकर ,

सजाना हमें उद्यान हैं 

हां स्कूल भवन वीरान है। 


पतझड़ के मौसम में 

पत्ते झड़ जाते हैं ।

लौटती बहार तब 

और पेड़ सज जाते हैं। 

लौटेगी रौनक फिर से      

स्कूल के आंगन में, 

झगड़ें के दोस्त फिर 

इसी के प्रांगण में ।

जीत जाएंगे जंग 

बस धीरज धरो जरा 

परवाज होगी ऊंची 

हिम्मत भरो जरा ।

पढ़कर, पढ़ा कर 

सीख नया , सिखा कर   

करना युग निर्माण हैं ।

हां स्कूल अभी वीरान है।


चाहे भवन वीरान है,

पर करना नहीं आराम है,

कमाल का विज्ञान है ,

तकनीक भी महान है।

साधन नये अपनाकर ,

मंच नये सजाकर ,

पंख नये उगाकर,

उड़ान नई लगा कर,

छूना आसमान है।


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