तीन अल्फ़ाज़ का प्यार
तीन अल्फ़ाज़ का प्यार
करवट बदल ली जीवन ने,
कि दौर ऐसे आ गए,
प्रेम पुष्प जो शाश्वत कभी थे,
एक दिन में बस समा गए,
संकीर्ण हो गया दायरा भी,
प्रेम के विस्तार का,
हर कण में व्याप्त था कभी जो,
बन गया तीन अल्फ़ाज़ का|
हर फूल पर बैठे भंवर में,
और हर कच्ची डगर में,
ऊधव गोपी संवाद में,
यहां था प्रेम ही हर बात में,
पर आज ये मोहताज है,
एक दिन के इंतज़ार का,
हर कण में व्याप्त था कभी जो,
बन गया तीन अल्फ़ाज़ का।