STORYMIRROR

Surendra kumar singh

Abstract

4  

Surendra kumar singh

Abstract

प्रेरणा

प्रेरणा

1 min
205


जाने क्या क्या है ये दुनिया

और जाने क्या क्या है इस जीवन में

दुनिया और जीवन के

अन्तर्सम्बन्ध के बीच

एक क्रिया है

कभी जीवन दुनिया सा हो जाता है

तब जब हम अपनी क्रिया के

अपने ऊपर प्रतिक्रिया से

अनभिज्ञ बेसबब,बेवजह

अपनी क्रियाशीलता में

मशगूल रहते हैं

जीवन रोबोटिक हो जाता है

सक्रिय पर अपनी सम्बेदना से

अनभिज्ञ।

कभी दुनिया जीवन सी हो जाती है

जब प्रेरणा हमारी क्रिया को

आच्छादित कर लेती है

हमारे लिये

हम रोबोट की तरह ही चल पड़ते हैं

अपनी ओर।

जाहिर है हमारी दुनिया बदलने की

जरूरत हमारी जरूरत से जुड़ जाती है

और हम अपनी हर क्रिया का

अपने ऊपर होने वाली प्रतिक्रया को

समझ पाते हैं

नेपथ्य में हमारी प्रेरणा होती है

हम अपनी प्रेरणा के वशीभूत

अपने को बदलने लगते है

और देखते देखते ये

दुनिया और अधिक

प्रसांगिक हो जाती है 

और उसकी अप्रसंगिगता

तिरोहित होने लगती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract