सत्य की पुकार
सत्य की पुकार
पुकारता है सत्य आज
पुकारती मां भारती।
आन बान शान लाज
को द्वेष-शक्ति मारती।।
निछंल छंद बने राज
मानवता है कराहती।
इमान मान दान काज
को क्लेष - युक्ति काटती।।
सत्ता के सजे साज
आम जनता है आहती।
सत्यभान ज्ञान जान राज
को रोष- भक्ति रोकती।।
कायदे -कानून हुए खाज
बाहुबलियों की आढ़ती।
अभिमान गान ध्यान ताज
को विशेष- शक्ति साधती।।
बहुत गिरा चुकेगाज
अब आवाम है हुँकारती।
एलान ये जहान मान बाज
को आक्रोश- भुक्ति ललकारती।।