आदमी
आदमी
शतरंज की मोहरे बिशाते आदमी,
झेलता नित नई वारदाते आदमी।
करवटो में रात काटते हुये घाटे नफे
की, फ्रिक्र में कशमशाता आदमी।
हो मुबारक आपको रंगिनियाँ वहाँ की,
जहाँ साँप से अधिक जहरीला आदमी।
सब चीज बिक रही बाजार सजे हुये हैं,
इस बाजार में सबसे सस्ता बिकता आदमी।
आदमी ने धरा पर सबको लिया निशाने पर,
अब दहशत के मुहाने पर खड़ा दिखता आदमी।