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Pankaj Kumar Srivastava Srivastava

Inspirational

4.5  

Pankaj Kumar Srivastava Srivastava

Inspirational

बढे़ चलो

बढे़ चलो

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पाँव बस रूके नहीं, चले चलो बढ़े चलो।

मुश्किलों से तुम लड़ो, डरो नहीं, झुको नहीं डटे रहो ।

प्राण वायु हौसला हे, हौसले से भरे रहो ।

दीप तुम जलाओ अन्धकार में, जगमगा उठे धरा ज्योतिपुंज से ।

गगन में शंखनाद हो, विजयी तुम बनो ।

पाँव बस रूके नहीं, चले चलो बढ़े चलो।

साक्ष्य समय दे रहा, सामर्थ्य ही टिका रहा ।

तुम धीरवान संयंमी बनो, लक्ष्य साधना करो, 

प्रसन्न चित्त रहो कर्म किया करो ।

आस्थावान, अनुशासित जीव तुम बनो ।

पाँव बस रूके नहीं, चले चलो बढ़े चलो।

क्या मिला तुम्हें ये नहीं गिनो अभी, 

तुमने क्या दिया ये कहो अभी ।

देवता भी मानव रुप धर प्रकट हुये,

तुम्हे जन्म मानव का मिला ।

देवत्व प्राप्त तुम करो ।

पाँव बस रूके नहीं, चले चलो बढ़े चलो ।

नाश हो अधर्म का ,देवदूत तुम बनो ।

युग नया तुम्ही से आयेगा,

रूढी़यो को ज्ञान तोड़ पायेगा ।

तुम विद्यार्थी बनो ।

नित नये प्रयोग से हो रूबरू, नवल कोपलो से पल्लवित हो ।

सुगंन्धी पुष्प बन कर खिलो, गुणी बनो गुणी बनो ।

पाँव बस रूके नहीं, चले चलो बढ़े चलो ।


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