ज़रा क़रीब से
ज़रा क़रीब से
आइये आईने में देख लें खुद को
और उस व्यक्ति विशेष को
जो अपने से ज़्यादा सहमा
और समझदार
किसी को मानता नहीं है
और ज़रा क़रीब से
जाने उसके अधूरेपन को
जिससे उसने दूरियां बनाये रखी है
अब तोड़ भी दीजिये
ज़नाब इस चुप्पी को
और दो टूक कह दीजिये
सुधर जा कमबख्त!
दुनियां से पर्दा किया तो ठीक
अब खुद से क्या पर्दा पगले.....!
