STORYMIRROR

Juhi Grover

Tragedy

4  

Juhi Grover

Tragedy

सर्दी की वो शाम

सर्दी की वो शाम

1 min
244

सर्दी की वो शाम आज भी याद है मुझे,

कड़ाके की उस ठण्ड में टपरी की चाय।


हाथ हिला के पुकारना भी याद है मुझे,

चाय न पीने पिलाने की तुम्हारी वो राय।


चाय के नाम की वो राय भी याद है मुझे,

साथ ही याद है हाथ हिला बोलना हाय।


बिन बताये चले जाना भी याद है मुझे,

जाने से पहले नहीं की तुमने कभी बाय।


हर शाम देखने की आदत याद है मुझे,

छोड़ ही नहीं सका आज भी मैं वो चाय।


कल्पना का सच न होना ही याद है मुझे,

वरना छूट न जाती तुम्हारी दुश्मन वो चाय।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy