सर्दी/दोहे
सर्दी/दोहे
ऋतु बदली तो हो गया, सर्दी का अहसास।
बचकर रहना अब जरा, स्वेटर रखना पास।।
निर्धन जन आवास है, छप्पर कहते लोग।
सर्दी गर्मी काम दे, होते कभी न रोग।।
शीत लहर लो चल पड़ी ठिठुर रहे हैं लोग।
ऊनी कपड़े पहन लो, वरन लगेगा रोग।
शीत लहर लो चल पड़ी, रबी फसल में आब।
सर्दी में आते कई, मन मंदिर में ख्वाब।।
सर्दी के दिन आ गये, बढ़ी चाय की मांग।
कुछ पी शराब नाचते, नशा चढ़ा ज्यों भांग।।
सर्दी के दिन आ गये, बढ़ा जुकाम रोग।
डाल छुहारा दूध में, लगा आज ही भोग।।
गर्मी सर्दी काम जन, मिले नहीं आराम।
दाना पानी कब मिले, चिंता है शुभ शाम।।
