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Madhu Vashishta

Comedy Action

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Madhu Vashishta

Comedy Action

सर्दी बेदर्दी।

सर्दी बेदर्दी।

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रजाई में सिर ढांप के पड़ी थी।

अलार्म की तो आवाज आज भी नहीं सुनी थी।

रात ऐसी गहराई की सबको बढ़िया नींद आई।

क्योंकि सब ने ही मुंह पर ढक रखी थी रजाई।

आज इतवार तो नहीं था लेकिन सबकी छुट्टी हो गई।

नींद किसी की भी ना खुली और मैं भी थी जम कर सो गई।

रात बारिश हुई थी, सर्दी इसलिए भी बढ़ गई।

बेदर्दी सर्दी है उठकर अब हम चाय भी ना बनाएंगे।

जब सभी हैं घर में तो आज खाना भी पापा और बच्चे ही बनाएंगे।

एस ख्याल आया नींद और भी थी बढ़ गई।

अपनी गुनगुनी रजाई में मैं और भी सिमट गई।

जो खुली आंख थोड़ी देर में, तो दिन शायद चढ़ रहा था।

लेकिन बाहर देखा तो कोहरा भी अभी बढ़ रहा था।

मैं सोचती थी कि मेरे बिना किसी का काम नहीं चलेगा।

आज अगर मैं खाना ना बनाऊं तो घर में खाना भी नहीं बनेगा।

भूखे रहेंगे सब लोग अंत में मुझको ही बोलेंगे।

देखूंगी, बना लेंगे सबके लिए खाना भी अगर सब हाथ पैर जोड़ेंगे।

मैं वहीं गई जहां सब उठकर चिल्ला रहे थे

पास जाकर देखा तो जोमाटो से मंगवा कर वे सब चिल्ली पटेटो और बर्गर खा रहे थे।

गुस्से में जब मैंने कहा अगर मैं जल्दी ना उठूंगी तो कोई काम पर जा सकता ही नहीं।

पूरे घर की फिक्र मुझे ही है और किसी को तो कोई फिक्र ही नहीं।

मुस्कुरा कर बोले बच्चे, मम्मी मैसेज हमने देखा था आज स्कूल की छुट्टी है।

पापा भी घर से काम कर लेंगे आज उनकी भी मस्ती है।

आपने भी कुछ खाना है तो खा लो

आपके लिए भी मंगवा रखी खस्ता कचौड़ी और इमरती है।



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