सपनों की रानी
सपनों की रानी
सोचा था बनूँगी मैं भी किसी के सपनों की रानी
राज करूँगी दिल पे- घर पे जैसे कि महारानी
फिल्मों में जैसे देखा वैसे मन में उड़ती फिरती
मैं भी सैर करूँगी देश विदेश की करूँ गी फुल मस्ती
फूलों की रंगत में रच कर हो जाऊँगी सुमन
चाँद तारों के की धवलता कर देगी सार्थक नाम पूनम
पवन के झोंको से उड़ती रहूंगी नील गगन
नदियों सागर की लहरों संग बहती फिरूँगी वन उपवन
लेकिन यथार्थ में देखा तो तो सब स्वपनिल था मायावी
सामने थी गृहस्थी,परिवार और उनकी जिम्मेदारी
खो गए सब सपने वो सब तो बस मृगतृष्णा हैं
यही सच है यही यथार्थ और यही बस अपना सपना है।
