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Poonam Arora

Abstract

4  

Poonam Arora

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अलाव की गर्माहट

अलाव की गर्माहट

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हवा में सरसराहट थी

समां में सनसनाहट थी

हाथों में थरथराहट थी

बदन में कंपकंपाहट थी


जल रहा था कहीं अलाव

बस वहीं कुछ गर्माहट थी

सट के बैठे थे सब आपस में

कहीं न कोई बनावट थी


रिश्तों को सेक रहे थे संग साथ

दिलों की दीवारों में न चरमराहट थी

सुख दुख ताप रहे थे अपने

आत्मीयता की तरल तरावट थी


हाथ थे अपने अपने लेकिन

सांझा सबकी गर्माहट थी

हमसे बहुत अमीर थे वे सब

संवेदनाएं न उनकी मर्माहत थीं


प्यार का गुनगुना एहसास था

हंसी की गुंजित खनखनाहट थी

गपशप का था मधुरिम गुंजन

परिहास की मीठी सुगबुगाहट थी


न था अभिजात्य का आडम्बर

न औपचारिकता की मिलावट थी

अलाव से बंध गए थे एक सूत्र में 

सर्द तनों में एहसासों की कसावट थी


"सर्दी में भी गर्मी का एहसास" की

साकार हो रही साक्ष्य आहट थी

कोहरे की धुंध में घुलती जा रही

संवेगों की नमी की पिघलाहट थी।


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