सपने की राजकुमारी
सपने की राजकुमारी
सुंदर सी थी एक फुलवारी
रहती जिसमें राजकुमारी।
उसका माली अमित बिहारी
करता बगिया की रखवाली।
एक दिन शाम होय जब लागन
बगीया लागै क्या खूब सुहावन
उस बगिया के फूलकुमारी
मीत बन क्या गीत बरसावन।
गीत सुन अधिर भये मलीया
झूम झूम नाचत फूल कलियां
नाचे साथ सातों रे सखियां
तड़पे देखन को देव की अंखियां।
झुरमुर शाम अंधेरा आवन
बरस पड़ा देखो रे सावन
घर जाने को मन नहीं मानन
अब और लगे रे गीत सुहावन।
देखत देखत आसमान में
निकल पड़े रे कितने तारें
धीरे- धीरे रात ढली अब
चलो चलें अब हम घर सारे।
भोर भया तो बिस्तर पाया
मेरी समझ में कुछ नहीं आया
उठ बैठ सोचा कुछ अपने
देख रहा था रे मैं सपने।