STORYMIRROR

Kusum Lakhera

Tragedy

4  

Kusum Lakhera

Tragedy

सपने देखती हैं .....

सपने देखती हैं .....

1 min
326

अक्सर लड़कियाँ सपने देखती हैं ......

क्योंकि नैतिकता के मानदंड पर 

उन्हें ज्यादा तोला जाता है ...

जब तर्क या बहस करती हैं 

घर के बड़े बुजुर्गों से तो उसे

चुप रहने के लिए बोला जाता है 

घर की चारदीवारी में से वह

भी बाहर जाना चाहती है ...

देखना चाहती है बाहर का ,

खुला मैदान , बड़ी बड़ी दुकान

पर उसे बहुत कम भेजा जाता है बाहर ...

इसलिए ...

वह रात को जीती है !

स्वच्छन्द जिन्दगी अपने तरीके से..

वह स्वपन में हिरनी सी दौड़ती है !

वह उछलती कूदती मैदान और

नदी के पास घूमती है ....

वह हवा से बाते कर 

पर्वतों की ...

ऊंचाई भी लाँघती है ....

उसका मन सपने में कुछ ही समय 

में उसे ले जाता है ...

बादलों के पार ..

पर जब नींद खुलती है स्वप्न टूटता है !

वह अक्सर बुदबुदाती है 

काश मैं ......

सपनों की दुनिया में ही रहती !

यथार्थ की दुनिया मेरे लिए कब ..

अच्छी होगी ?


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy