सफर
सफर
तन्हा सफर कट तो रहा है तेरे बगैर भी,
फर्क़ इतना है अब मेरी परछाई तेरी परछाई को ढूँढती है..
इरादा तो नहीं था तुझे भुला कर ज़िंदगी जीने का,
अब जो चल रहीं हैं सांसे तेरी मांगी उन दुआओं का कमाल है..
तुझसे छुपा कर अब कहाँ रखे तेरे दिए दर्द को,
ये ' दिल' ये 'आंखें' ये 'धड़कन' ये सब घर तुम्हारे ही तो है।

