सफर अधूरा लगता है
सफर अधूरा लगता है
सफर अधूरा लगता है
विधा- कविता
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साथी अपना संग में हो,
सफर वधू सा सजता है,
संग में कोई नहीं मिले,
सफर अधूरा लगता है।
लंबा सफर हो दर्द देता,
अपना साथी खुशी देता,
वरना सफर यूं हँसता है,
सफर अधूरा लगता है।
वादियां खिली हो जब,
मन में उठती उमंग तब,
वीरान जन को डसता है,
सफर अधूरा लगता है।
प्रकृति के सुंदर नजारें,
जन को लगते वो प्यारे,
प्रकृति में देव बसता है,
सफर अधूरा लगता है।
आओ सफर को बदले,
बना देते इसे मन पसंद,
जन को सफर जचता है,
सफर अधूरा लगता है।।
