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Alka Soni

Romance

3  

Alka Soni

Romance

● सोलमेट ●

● सोलमेट ●

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मेरी रूह तुझमें समाकर,

क्यों सुकून सा पाती है ?


तुझे देखकर मानों बरसों की,

तलाश रुक सी जाती है।


बैचैन सा भटकता ये मन मेरा,

तेरे नाम में रम जाता है।


है दूर आज तू मीलों मुझसे,

दिल के बड़ा करीब है तू।


कुदरत ने मिलाया अधूरा हमको,

लेकिन आज भी मेरा नसीब है तू।


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