सोलमेट
सोलमेट
न गज़ल बनने की तमन्ना थी मेंरी
न सितारों को तोड़ लाने के वादे चाहे थे
तुम्हें चाहा था अपनी जान की तरह मैंने
सांसों मेंं तुम ही समाय थे।
जब रिमझिम बरसे बदरा
सावन की घटा छायी
प्रिय तब याद तुम्हारी आई
निशदिन झरती अंंखियाँ
जब जब बाजे तेरी यादों की शहनाई।
तुम्हें चाहा था अपनी जान की तरह मैंने
सांसो मेंं तुम ही समाय थे।
जब- जब महकें प्रिय बागों में अमराई
बोले कोयल मीठी बोली बागों में
सब सखी झूलें झूला प्रिय संग
मै झूलू तेरी यादो संग अकेली।
तड़पत है मन मेंरा जब याद तुम्हारी आयी
तुम्हे चाहा था अपनी जान की तरह मैंने
सांसो में तुम ही समाय थे।
तुम बिन प्रिय न भाये शीतल चंदा,
ना भाये चकोर
ना भाये टिमटिमातें तारे।
मन में जलती पीर तुम्हारी यादों की
कब आओगे प्रिय मनवा है व्याकुल
भूलें मुझ को जा परदेश प्रिय
क्यों ना याद तुम्हें मेंरी आयी
न गज़ल बनने की तमन्ना थी
मेरी ना सितारे तोड़ लानें के वादें चाहे थे
तरसता मन मेंरा तुम्हारे साथ को
इस सावन झूलू झूला संग
सावन तुम बिन नही सुहायी।
न गज़ल बनने की तमन्ना थी मेंरी
न सितारों को तोड़ लानें के वादे चाहे थे
तुम्हें चाहा था अपनी जान की तरह
मैंने सांसों मेंं तुम ही समाये थे।