संवेदना
संवेदना
काश मेरे दिल मे उभरती भावनाओं को पंख लग जाए
आज़ादी के ये सुनहेरे समय मेरे पहियों को गति दे दें
चला था आपने उजड़े संसार को पीछे छोड़ने के लिए
दूरी बहुत, इरादों मे कमी नही हर चोराहे पर रोका गया,
क्या भुल गऐ भगवान जीने मरने का दर्द सबहि को हे
कैसे सो लेता है बेदर्द ज़माना हम सब को बेघर करके !