संस्कारी बिटिया
संस्कारी बिटिया
मायके की इज्जत कुछ यूं
बीटियां ने संवारी है,
संस्कारों के बोझ तले वो
खुद ही खुद से हारी है।
सोचा होगा उन्होंने भी
की बिटिया ससुराल जाएगी,
कही न कही उनकी भी
एक जिम्मेदारी कम हो जाएगी।
अपने सपनो की आंच पे
उनकी चिंताएं जलाई है,
संस्कारों के ............
अपनी तक़दीर पे छोड़ के
पुछते बेटी तुम कैसी हो,
और फिर कहते खुश रहना,
चाहे ससुराल जैसी भी हो।
अपने वजूद को समेटने में
वह कई बार बिखरी है।
 
; संस्कारों के.............
पति, परिवार और संबंधी
सभी खुश है इस संस्कारों से,
लेकिन कहीं गूंगी शिकायते है
समाज के इन सभी ठेकेदारों से,
अपनी परवाह किए बगैर
सबकी जिंदगी संवारी है।
संस्कारों के....….....
फिर भी
जब भी खुलकर जीना चाहा
यहां सब ने उंगली उठाई है,
अबतक जो संस्कारी थी,
आज वही खुदगर्ज कहलाई हैं
खुद बेइज्जत होके कई बार
घर की इज्जत बचाई है।
संस्कारों के...........