सहयोग और प्यार
सहयोग और प्यार
विशेष उद्देश्य से ही हम सब, आए हैं इस संसार,
इस उद्देश्य को एक पल भी, न ही दें हम बिसार।
बड़ी अजब मोह-माया है, इस विचित्र संसार की,
लक्ष्य के हित जरूरत है, सहयोग और प्यार की।
प्यारी सारी वसुधा ही ये हमारी, नाट्य मंच है इस जगत का।
बखूबी से है सबको निभाना, मिला है रोल जिसको भी जिसका।
करके पूरा प्रयास, रख कर के दृढ़ ही विश्वास, लक्ष्य पाना है खास।
लगा पूरा मनोयोग, करके सबका ही सहयोग, जगह न है तकरार की।
लक्ष्य के हित जरूरत है, सहयोग और प्यार की।
सहयोग की अपनी भावना, आगे तो हम सबको ही बढ़ाएगी।
कितनी दूर हो या हो कोई मंजिल, सफलता चरण चूम आएगी।
कोटि कर लें प्रयोग, छोड़ें न करना सहयोग, मिटेंगे असाध्य से रोग।
कोई बाधा सा रोग, सफलता हित सहयोग, जरूरत है संसार की।
लक्ष्य के हित जरूरत है, सहयोग और प्यार की।
सुख तो है चाहत सभी की, कोई तकलीफ़ न चाहता है उठाना।
प्रभुत्व खुद का सभी चाहते हैं, सब चाहते प्यार सबका ही पाना।
प्यार सुख का है सार, जाने है सारा संसार, बना दें सागर हम अपार।
लक्ष्य पाने वह खास, सतत् करें हम प्रयास, बहाएं नदियां तो प्यार की।
लक्ष्य के हित जरूरत है, सहयोग और प्यार की।