समय को न काटकर अपने अपने कर्तव्य निभाकर जिंदगी जीना है समय को न काटकर अपने अपने कर्तव्य निभाकर जिंदगी जीना है
ना कर तेरा मेरा एक दिन सब मिट्टी हो जाता है। ना कर तेरा मेरा एक दिन सब मिट्टी हो जाता है।
है अलग तू सुन अपने मन की, कर वही जो मर्ज़ी है अपनी। है अलग तू सुन अपने मन की, कर वही जो मर्ज़ी है अपनी।
रीतियाँ नश्वर जगत की यों निभाना चाहिए , चार दिन की ज़िंदगी का ढंग आना चाहिए । रीतियाँ नश्वर जगत की यों निभाना चाहिए , चार दिन की ज़िंदगी का ढंग आना चाहिए ।
तो फिर इतनी जिद्द क्यों तो फिर इतनी जिद्द क्यों