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Bhawana Raizada

Abstract

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Bhawana Raizada

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अलग

अलग

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है अलग तू सुन अपने मन की,

कर वही जो मर्ज़ी है अपनी।


तुझे पता है क्या मंज़िल है तेरी,

खामोशियों के पीछे दबी उत्सुकता तेरी,

छूट न जाये कहीं डोरी संघर्ष की।

है अलग तू सुन अपने मन की,

कर वही जो मर्ज़ी है अपनी।


न फंस मोह माया में उलझकर,

लोभ, क्रोध का घड़ा सर पर रख,

न पलट जो चुन ली राह लक्ष्य की।

है अलग तू सुन अपने मन की,

कर वही जो मर्ज़ी है अपनी।


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