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Anita Sudhir

Others

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Anita Sudhir

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गीतिका

गीतिका

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रीतियाँ नश्वर जगत की यों निभाना चाहिए ,

चार दिन की ज़िंदगी का ढंग आना चाहिए ।


राख से पहले यहाँ क्यों हो रहा जीवन धुआँ,

ध्यान चरणों में सदा प्रभु के लगाना चाहिये।


देह माटी की बनी अभिमान इस पर क्यों करें ,

मोह माया से परे ,जीवन बिताना चाहिए ।


ईश है कारक सदा से ,भाव कारक क्यों रखे 

कर्म से झोली भरें अब पुण्य पाना चाहिए ।


पाप करते जा रहे क्यों ,धर्म के धारक बनें ,

कीर्ति से शोभित पताका ही दिखाना चाहिए ।



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