विचारों सा ये तुम्हारा आना
विचारों सा ये तुम्हारा आना
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विचारों सा ये तुम्हारा आना
अटकलों और अफवाहों के बीच
जब हम लीन थे ध्यान में
करते हुये योग।
ध्यान तुममें हो गया
और एक विस्मय से
अभिसिंचित हो गये हम
जाने कितने भावों का
जाने कितने विचारों का
जाने कितनी किताबों का
जाने कितने दृश्य और
अदृश्य तत्वों का योग हैं हम।
विचारों सा ये तुम्हारा आना
विस्मय से अभिसिंचित हम
सोच रहे हैं
क्या नाम दें तुम्हारा
नामों से बहुत भिन्न हो तुम
मेरे प्रिय
दुनिया के लिये अजनबी भी।
तुम्ही बताओ
क्या नाम दूँ तुम्हे
मेरी अदृश्य शक्ति
माँ।