तुम्हारे हुए हम
तुम्हारे हुए हम
ये मन जानता है
कि तुमसे दूर हुए तो भी
तुम इन आँखों में बस जाओगी
तेरी एक झलक को
तरसेगी ये नयन
तेरे ही नगमें
जो वीर सपूतों ने गाया
इन होंठों पर गुनगुनाते
याद कर तेरी ममता
ये आंखें हो जायेगी नम
ये तन और जीवन
जो कई बार चढ़ा चुके
ले लेकर कई रूप वे
चलूं उनके नक्शेकदम
हे मात तेरे चरणों में
गर कर सकूं मैं अर्पण
अगर मैं कर सकूँ अर्पण
तो सफल हो य़ह जीवन
तो सफल हो य़ह जीवन
क्योंकि तेरे समान
न यहां कोई दूजा
एहसान किया न कोई
जो तूने दे दी अपनी गोदी
मिल मात-पिता के संग
बरसाया स्नेह सुमन
तुझपे वार दूँ अपना
ये जीवन तन और मन
कि हमेशा से तू मेरी
और तुम्हारे हुए हम!
