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Ruchika Rai

Inspirational

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Ruchika Rai

Inspirational

प्यार

प्यार

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दिल की बात जुबां पर लाने से पहले,

एक बार विचारना मन में।

प्रेम है क्या ?

क्यों है ?

किससे है ?

क्यों प्रेम के नाम देकर खुद को छलते हो।


अगर प्रेम होगा तो शुद्ध पवित्र 

बिल्कुल 24 कैरेट की तरह,

जहाँ थोड़ी सी मिलावट सोने की गुणवत्ता को कम करती,

ठीक उसी तरह प्रेम में एक छोटी सी पल भर की सोच भी

उसकी पवित्रता को कम कर देती है।


मीरा की भक्ति में जो प्रेम था

क्या वह कभी हो सकता हमें,

जहाँ महलों की ठाट बाट छोड़कर

मंदिर मंदिर कृष्ण नाम जपना अच्छा लगा।

महादेव और सती की कथा भी सब जानते हैं

फिर क्यों आज भी शिव जैसा पति माँगती हैं।


सीता को भी प्रभु ने तज दिया,

फिर भी उन्होंने उफ्फ तक नही किया।

अगर प्रेम है तो 

दुख और तड़प कहाँ है

साथ कि चाहत कैसे है

वो तो प्रेम की एक झलक में खुश है

एक आवाज में आनंदित

एक मुस्कान पर कुर्बान।


इससे इतर कुछ भी है तो

वह तुम्हारी जरूरत है।

कभी शारिरिक ,

कभी मानसिक,

कभी भावनात्मक।


एक बार विचारना जिससे

तुम प्रेम का दावा करते हो,

वह प्रेम है या जरूरत।

अगर प्रेम है तो पीड़ा का आभास ही नही,

सब कुछ देने का भाव स्वतः स्फूर्त होगा।


वह देकर खुश होगा,

त्याग उसकी पहली प्राथमिकता होगी।


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