संक्रमण काल
संक्रमण काल
बेशक रहते हैं आप जेहन में
वहीं आशियां बना रखिए ।
ये संक्रमण का दौर हैं, गालिब
ख़्वाबों में किसी के भी भूलकर कदम ना रखिए ।।
वो जो इस दौर में भी राहो पर नजर आते हैं,
ज़रूर कोई मजबूरी हें या फरिश्तों के बाशिंदे है।
अब तो ख्वाबों के तामीर की निगहबानी भी इन्हीं फरिश्तों के हाथो में है।
मगर लगे लगाम अपने कदमों में यही फरियाद हमारी हैं।।
कत्ल कर देगी ये आबोहवा की बीमारी ।
जितना हो सके चेहरा छिपाकर के मिला कीजिए।
यह वक्त का तकाजा है कि अभी दहलीज से ना बाहर झकिए।
वरना गवाहे तारीख में हमने सितारों के आगे भी कदम रखे हैं।।
माना नफरतों की कोई सरहद नहीं होती,
बेशक ना मिले दिल मगर जज़्बात में कोई बात नहीं होती।
मुक्कमल थी ये ज़मीं भी अपने लिए मगर ख्वाहिशों ने आसमान तक उड़ा दिया।
ना मिली खाके सुपुर्द और ना ही जन्नत मगर इंसान को इंसान का सबक सिखा दिया।।
