संदेश
संदेश
ये माना नेट नहीं है अरु नहीं है डाक की सुविधा,
संदेसा किस तरह भेजें सदा तुमको यही दुविधा ।
मगर सब भूल कर प्यारे हृदय के भाव लिख डालो,
तनिक भी रोष हो या स्नेह भावों का दिया बालो ।
अभी भी हैं कबूतर हर जगह जो प्रेम दिखलाते,
बड़े भोले हैं ये पंछी सदा संदेश पहुंचाते ।
इन्ही से भेज दो चिट्ठी जो आये मेरे डेरे पर,
लिफ़ाफा चोंच में दाबे उतर आए मुंडेरे पर ।
तुम्हारा पत्र पाकर मैं उसे चारा चुगा दूंगी,
निराशा से भरी उर-भूमि पर आशा उगा दूंगी ।
मगर संदेश तो भेजो .....
कभी संदेश तो भेजो .....