संबल
संबल
देखती हूँ
खाली पड़े रिमोट
बन्द टी वी को
सोफे पर करीने से
लगे कुशन कवर को।
कमरे में बिछी
बिना सलवटों की चादर को
अलमारी के हैंगर में
टंगे कपड़ों को।
धीरे से उठाती हूँ फोन
खोलती हूँ वाट्स अप
टाइप करती हूँ
हौले से हेलो !
जी चाहता है लिखूं
अभी कॉल कर लो
नहीं तो कम से कम
मैसेज का रिप्लाई ही कर दो !
पर नहीं कह पाती कुछ
बिजी होंगे बच्चे पढ़ाई में
लाइब्रेरी में या लैब में !
जब समय मिलेगा
देख लेंगे मेसेज
रिप्लाई भी जरुर करेंगे !
मम्मा यू डोंट वरी
अभी बिजी हूँ
फ्री होते ही बात करेंगे !
ओ के बेटा
!
बस इतना ही लिख पाती हूँ
मुझे कमजोर नहीं पड़ना
मुझे तो बनना है बच्चों का संबल
बार बार यही दिल को समझाती हूँ !