Anju Kharbanda

Others

2.4  

Anju Kharbanda

Others

अहं नदी अस्मि

अहं नदी अस्मि

1 min
763


मैं नदी हूँ जीवनदायिनी !

देवी ! पालनहारा!


मेरे किनारे ही

उपजी कई सभ्यताएं

किया मैंने ही उनका परोपकार!

मैं हूँ भारत की आन बान शान


किसानों पर मैं ही करती उपकार

पर धीरे-धीरे मैं

खुद को खो रही कर रही

अपनी हालत पर चीत्कार!


चीख-चीख कर

ठहराना चाहती हूँ तुम्हें जिम्मेवार!

तुम ही हो वो जिसने

डुबो दी मेरी पतवार!


तुम भूल गये मुझ पर आश्रित कितने परिवार!

मेरे न होने से मच जाएगी कितनी हाहाकार!

मुझ से बनते सारे व्यापार

मैं ही हूँ जीवन का सच्चा आधार


न करो मेरी झूठी जय-जयकार

बन्द करो ये व्यभिचार!

जब से स्वार्थी बन गया इन्सान

पहले जैसे कहाँ रहे अब मेरे सरोकार



Rate this content
Log in