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Laxmi Yadav

Inspirational

4  

Laxmi Yadav

Inspirational

स्कंद माता का कोरोना पर वार

स्कंद माता का कोरोना पर वार

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आज खुला मोक्ष का द्वार

चल रहा स्कंद की माता का सत्कार

सुर असुर सब खड़े लेकर पुष्प हार

पर माता को है आज मानस पुत्र का इंतजार

आया नहीं अब तक मृत्यु लोक से मनुहार

ऐसी कौन सी सीमा जिसे पार नहीं कर पाया

ऐसी कौन सी लकीर जिसे लाँघ नहीं पाया

ऐसी कौन सी माया जिसने उसका मन भरमाया

ऐसा कौन सा विघ्न उसके जीवन में आया

आकाश मार्ग से व्याकुल हो देवी निकल पड़ी पुष्प यान में

निकट पहुँच धरातल पर देखा

चारों दिशाओं में कोहराम मचा है

त्राहि त्राहि चहूं ओर जन मानस का जीवन बिखरा है

जीव जंतु तो स्वछंद विचर रहे पर मानस पर पहरा है 

कोरोना की काली बदली छाई है

मानो आज धरा पर उसी की बन आई है

देख वीभत्स दृश्य कमल पुष्प गिर गया हाथों से

सिंहनाद हुआ सिहर उठे अवनि और अम्बरतल

देख देवी का विकट रूप देवगण सारे घबराये

ऐसे में देवर्षि नारद दौड़े दौड़े आये

बोले हे जगत जननी जग की माता

धीर धरो इतना आक्रोश तुम्हें नहीं सुहाता

माना सदियों से नर ने नारी का अपमान किया

हर युग में देवी को दासी बनाया

इसने ही नारी को मर्यादा का औजार बनाया

उसके ही पर काटकर दहलीज से बाँध दिया

इसीलिए कोरोना ने आज मानव को अपना दास बनाया

उसको समझाने चौखट की मर्यादा कोरोना धरती पर आया

शब्दों से खंडित होकर देवी बोली

सत्य है सहार करना मुझे ना सुहाता

पर देख दुर्दशा नारी की दिल दहेल जाता

आज फंसा नर आज अपने ही चक्रव्यूह में

काश घर की लक्ष्मी को जगह दी होती अपने दिल में


जा कोरोना

मैं छोड़ रही हूँ तुझको

पर अंत निश्चित है तेरा

कल इतिहास में लिखी तेरी कहानी होगी

ये श्राप है मेरा



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