STORYMIRROR

Laxmi Yadav

Inspirational

4  

Laxmi Yadav

Inspirational

स्कंद माता का कोरोना पर वार

स्कंद माता का कोरोना पर वार

2 mins
338

आज खुला मोक्ष का द्वार

चल रहा स्कंद की माता का सत्कार

सुर असुर सब खड़े लेकर पुष्प हार

पर माता को है आज मानस पुत्र का इंतजार

आया नहीं अब तक मृत्यु लोक से मनुहार

ऐसी कौन सी सीमा जिसे पार नहीं कर पाया

ऐसी कौन सी लकीर जिसे लाँघ नहीं पाया

ऐसी कौन सी माया जिसने उसका मन भरमाया

ऐसा कौन सा विघ्न उसके जीवन में आया

आकाश मार्ग से व्याकुल हो देवी निकल पड़ी पुष्प यान में

निकट पहुँच धरातल पर देखा

चारों दिशाओं में कोहराम मचा है

त्राहि त्राहि चहूं ओर जन मानस का जीवन बिखरा है

जीव जंतु तो स्वछंद विचर रहे पर मानस पर पहरा है 

कोरोना की काली बदली छाई है

मानो आज धरा पर उसी की बन आई है

देख वीभत्स दृश्य कमल पुष्प गिर गया हाथों से

सिंहनाद हुआ सिहर उठे अवनि और अम्बरतल

देख देवी का विकट रूप देवगण सारे घबराये

ऐसे में देवर्षि नारद दौड़े दौड़े आये

बोले हे जगत जननी जग की माता

धीर धरो इतना आक्रोश तुम्हें नहीं सुहाता

माना सदियों से नर ने नारी का अपमान किया

हर युग में देवी को दासी बनाया

इसने ही नारी को मर्यादा का औजार बनाया

उसके ही पर काटकर दहलीज से बाँध दिया

इसीलिए कोरोना ने आज मानव को अपना दास बनाया

उसको समझाने चौखट की मर्यादा कोरोना धरती पर आया

शब्दों से खंडित होकर देवी बोली

सत्य है सहार करना मुझे ना सुहाता

पर देख दुर्दशा नारी की दिल दहेल जाता

आज फंसा नर आज अपने ही चक्रव्यूह में

काश घर की लक्ष्मी को जगह दी होती अपने दिल में


जा कोरोना

मैं छोड़ रही हूँ तुझको

पर अंत निश्चित है तेरा

कल इतिहास में लिखी तेरी कहानी होगी

ये श्राप है मेरा



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational