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Goldi Mishra

Drama

4  

Goldi Mishra

Drama

सितार

सितार

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वो जब सितार पर उंगली फेरता,

एक अनजानी सी शांति में मन विभोर हो जाता,

मानो कोई घाव को भर रहा हो,

कोई ख़बर न उसे मेरी और मेरी ही कह रहा हो,


उसकी उंगलियां सितार की तारों पर चलती जाती,

और एक अनोखा सा गीत बनाती,

मेरी रूह उसकी आवाज़ में खो जाती,

एक अनजानी सी दुनिया में मैं अपने घरौंदे को पाती,


वो रात भी उसके गीत को सुन रही थी,

हर डाल हर बेली उसके गीत में झूम रही थी,

उसकी धीमी आवाज़ हर शांति को भंग कर रही थी,

स्थिर था सब अस्थिर मैं बन रही थी,


कभी गाना वो गाता, 

कभी आहिस्ता मुस्कुराता,

उसे कोई जल्दी न थी,

उसके पास बस कला ही थी,


वो सितार अपनी छोड़ किसी रास्ते चला गया,

और बस इंतज़ार दे गया,

मेरी आँखें उसकी राह देख रही हैं,

ये सितार भी मानो अंतिम सांस गिन रही है,



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