सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
सीता की अग्नि परीक्षा कब तक
समाज में कहने को तो,
नारी का सम्मान है
नारी को शक्ति कह कर,
करते सब अभिमान है
आज की नारी हर क्षेत्र में,
अपनी पहचान है बना रही
कंधे से कन्धा मिला कर,
पुरुषों से है देश भी चला रही
पर फिर भी कई बार,
होता इनसे अन्याय है
सही होने पर भी,
इनकी गलती का ही अध्याय है।
अपनी बेगुनाही पर भी,
क्यों ये देती सफाई है
दुसरो के गुनाहों पर भी,
क्यों दोषी ठहराई है
हर रोक टोक को,
सहना पड़ता है इन्हे
दबाव में ना को भी हाँ,
कहना पड़ता है इन्हे
आने जाने में बंदिशे,
हसने गाने में भी बंदिशे,
अपनो बेगानों में बंदिशे,
गली, मकानों में भी बंदिशे ।
क्यों ये बदलाव नहीं हो रहा,
क्यों बेकसूर है दोषी हो रहा
समाज तो छोडो घर में भी यही हाल है,
आज भी बहु बेटी से ही सवाल है
क्यों चौखट को लांग नहीं सकती,
क्यों अपना हक़ भी मांग नहीं सकती
इसकी अग्नि परीक्षा है बार बार क्यों,
हर सच इसके है बे-आधार क्यों
क्यों हर वक़्त वही खुद को कटघड़े में पायेगी,
क्या ये सीता अग्निपरीक्षा से कभी मुक्त हो पायेगी
ये सवाल आपको सोचना है,
ये मिसाल भी आपको देना है
कि आखिर ये अग्निपरीक्षा कब तक चलेगी,
क्या नारी को भी हक़ की ज़िन्दगी मिलेगी
जिसकी वो हक़दार है।
उसे उसका अभिमान दिलाना होगा,
हमेशा शक के घेरे से उसे हटाना होगा
जब ये सोच बदल जाएगी,
जब वो खुल कर जी पायेगी,
तब अग्निपरीक्षा भी बंद हो जाएगी,
और उसे हक़ की ज़िन्दगी मिल जाएगी,
उम्मीद है वो सुबह भी जल्द आएगी।