श्वास हुई निष्प्राण हमारी
श्वास हुई निष्प्राण हमारी
2 1 1 2 2 21122
श्वास हुई निष्प्राण हमारी।
लौ घटती सी त्राण हमारी।।
जीवन का रुख मोड़ गया वो,
श्यामल कान्हा कृष्ण मुरारी।।
शोभित नीलम माल बनूँगी।
बाँसुरिया सुर-ताल सुनूँगी।।
मोहन लीला रास रचेंगे,
मोर पखी श्री भाल बनूँगीं।।
