शुभ कर्म करते रहे हम
शुभ कर्म करते रहे हम
शुभ कर्म हम करते रहे , कृष्ण को मन में हर पल जपते रहें।
सबके लिए विनम्र हम बनते रहे, दूसरों के दुखों में काम आते रहे ।
अपने मन को पावन करते रहे, दूसरों के दिलों में खुशी की उमंग को भरते रहे ।
शुभ कर्म हम करते रहे, कृष्ण को मन में हर पल जपते रहे ।
धर्म धन को हम भरते रहे, दूसरों के दिलों से भेदभाव को मिटाते रहें ।
सबके दिलों में भक्ति का दीप जलाते रहे, दूसरों को चिंताओं से लड़ना सिखाते रहे ।
शुभ कर्म हम करते रहे, कृष्ण को मन में हर पल जपते रहे।
इस काया का पल भर का ना ठिकाना है, मिट्टी का ये पुतला एक दिन मिट्टी में मिल जाना है।
धन का क्या लोभ करना, लेकर ना तुझे यहां से कुछ जाना है।
भक्ति में मन रमा ले अपना, कृष्ण भक्ति में ही सारा खजाना है।
शुभ कर्म करते जाना, जिंदगी जीने का यही सही फसाना है।
जग में ना तेरा उम्र भर का ठिकाना है, तेरे बोल को यहां उम्र भर के लिए रह जाना है।
प्रभु भक्ति की ओर बढ़ते रहे हम, इनके चरणों में ही उम्र भर का ठिकाना है।
शुभ कर्म करते रहे हम, कृष्ण को हर पल जपते रहे हम।
