श्री कृष्ण!
श्री कृष्ण!
श्री कृष्ण!
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारि,
हे नाथ, नारायण वासुदेव।
कब आए सांवरिया हमारे,
दर्शन को तरसूँ मैं अपने प्रभु के, ओ सांवरिया दर्शन तू दीजै,
सांवरिया पूछे सांवरिया को, मैं क्या कहूँ अपने बांवरिया को,
मेरे मन.......
मेरे मन बसिया, हृदय रंग रसिया हैं वो,
ओ सांवरिया दर्शन तू दीजै।
उनकी छवि.......
उनकी छवि मेरे ह्रदय में समाई,
सांवरिया बस दे अब दिखाई,
वादे नाम तुम्हारे सांवरिया, मेरी सारी कसमें तुम्हारी पिया
ओ सांवरिया तुम जान हमारी।
पग-पग घड़ी देखे वो इस तरह से,
कब आए सांवरिया कहाँ से।
देखें वो रस्ता कुछ इस तरह से, कब आए सांवरिया कहाँ से,
देखो यह पवन कहती इस तरह से,
आ जाओ सांवरिया कहीं से।
श्याम के जैसा ना कोई जहाँ में, मेरे मन में वो ही यहाँ में,
उसकी सूरत ऐसी हैं ये, जिस पर मोहित होई मैं रे,
ओ सांवरिया दर्शन तू दीजै।
ना हैं.......
ना हैं शिकायत वक्त से कोई,
उसने मिलाया विछड़न वो ही,
हो तुम कहाँ, मेरे सांवरिया, हो तुम कहाँ, मेरे श्याम पिया
तुमको मैं हर पल मैं बुलाऊँ,
आ जाओ सांवरिया हमारे।
तुमको ही.......
तुमको ही बस हर पल, पल-पल देखना चाहूँ,
ओ सांवरिया दर्शन तू दीजै।