श्रेष्ठता का मंत्र
श्रेष्ठता का मंत्र
सादगी से बड़ा श्रृंगार नहीं,
नम्रता सा व्यवहार नहीं।
ईर्श्या सा अत्याचार नहीं,
अज्ञानी सा कोई लाचार नहीं।
बस जाए जो कोई हृदय में प्रेमी बन,
उस जैसा उद्गार नहीं।
प्रेम ही प्रेम हो जिस कुटुंब में,
उस जैसा परिवार नहीं।।