शराब
शराब
मैं बुलाती नहीं,
फिर भी दौड़े आते हो,
बदनाम करने के लिए,
मुझे पीकर बौराते हो !
नशा मेरा करते हो,
नशीली आँखों को कहते हो,
मुझे पीकर ही तुम अपनी,
मनचाही बातों को करते हो !
मैं कड़वी हूँ,
फिर भी होठों से लगाते हो,
मुझे पाने के लिए,
दर-दर की ठोकर खाते हो !
मैं बुलाती नहीं,
फिर भी दौड़े आते हो,
मुझे अच्छा नहीं लगता,
जब होठों से लगाते हो !
इश्क मुझसे करते हो,
माशूका किसी को बताते हो,
देखो मैं कल से,
नशा नहीं चढ़ाऊँगी !
ग़र रूठ गई तुमसे तो,
गम नहीं मिटाऊँगी,
मुझमें उतर कर तुम,
नींद भर सो पाते हो !
जमाने भर में तुम,
मुझे ही जहर बुलाते हो,
मैं बुलाती नहीं,
फिर भी दौड़े आते हो !
दुख हो या सुख,
मैं संग नहीं बदलती,
जितनी भी पुरानी हो जाऊँ,
मैं रंग नहीं बदलती !
खुशी में मैं तुमको,
थिरका देती हूँ,
दुख में हो तुम तो,
दर्द दबा देती हूँ !
मैं गंदी हूँ,
फिर भी तुम अपनाते हो,
मैं बुलाती नहीं,
फिर भी दौड़े आते हो !
बदनाम करने के लिए,
मुझे पी कर बौराते हो !