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उड़ान

उड़ान

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पंछी हूँ जो आसमान में उड़ने की ठानी है,

उड़कर गिरना, उठकर उड़ना मेरी यही कहानी है।

हर बार हवा का झोंका मुझसे आ टकराता है,

इक बार नहीं दो बार नहीं सौ बार मुझे गिराता है।


वह नशे में रहता है अपने यह तिनका क्या कर पाएगा,

मेरे झोकों से वह बार-बार गिर जाएगा।

मेरे अडिग लगन को हिला नहीं वो पाता है,

मुझसे टकराने से पहले हर बार भूल यह जाता है।


मैं भी इक पंछी हूँ उड़ना मेरी निशानी है,

पंछी हूँ जो आसमान में उड़ने की ठानी है,

उड़कर गिरना उठकर उड़ना मेरी यही कहानी है।

काले बादल गर्जन करके मुझे डराने आते हैं,


वह छिद्र समझते हैं मुझको और मन ही मन मुस्काते हैं,

उनकी गर्जन से हाथी भी दहला जाता है,

पर उसी काले बादल में मोर नाचता गाता है,

उसी मोर से प्रेरणा लेकर मैं भी आगे बढ़ता हूँ,


हँसते -हँसते उसकी गर्जन को मैं भी सहता हूँ,

इक ही तो जीवन है इस जीवन को मिसाल बनानी है।

पंछी हूँ जो आसमान में उड़ने की ठानी है,

उड़करन गिरना उठकर उड़ना मेरी यही कहानी है।


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