आओ कान्हा
आओ कान्हा
हे कन्हैया बंसी बजैया,
मुरली अपनी बजाओ ना।
आओ ना कान्हा आओ ना,
मन में हमारे समाओ ना,
आओ कान्हा आओ ना।
यमुना तट पर रास रचाया,
गोकुल को प्रेम सिखाया,
राधा को मुरली पे नचाया,
हमको भी थिरकाओ ना।
आओ ना कान्हा आओ ना,
मन में हमारे समाओ ना,
आओ कान्हा आओ ना।
अधर्म पे तुमने हाथ उठाया,
धर्म को तुमने पार लगाया,
अर्जुन को विद्वान बनाया,
फसी मजधार में मेरी नैया,
पार्थ पार लगाओ ना।
आओ ना कान्हा आओ ना,
मन में हमारे समाओ ना,
आओ कान्हा आओ ना।
मीरा ने स्नेह लगाया,
विष को अमृत तुमने बनाया,
लोगों ने पागल बतलाया,
मुझे भी पागल बनाओ ना।
आओ ना कान्हा आओ ना,
मन में हमारे समाओ ना,
आओ कान्हा आओ ना।