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sumitsing 143

Romance

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sumitsing 143

Romance

तुम

तुम

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कल ही तो मिली हो,

कोई ख़ास नहीं हो तुम,

फिर ऐसा क्यों लगता है,

अहसास नई हो तुम।

ये दिल अड़ा हुआ है,

तेरे दीदार की ज़िद में,

मन कहता है फिर से,

इक इत्लाफ नई हो तुम।


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