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sumitsing 143

Inspirational

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sumitsing 143

Inspirational

माँ

माँ

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जो खुद गीले में सो कर

सूखे में मुझे सुलाती थी

वह रात रात भर लोरी गा कर

आँखों में नींद बुलाती थी

मैं लात मारता इक छाती पर

दूसरी से दूध पिलाती थी

वो माँ है जो खुद का पेट दबा

कर मुझको भर पेट खिलाती थी


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